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जैनोनुं जैनोने आपो संघनी सेवार्थी जग व्या शक्ति टळशे सहु पापों दुःखीनां दुःख कापो पद्मावती धरणेंद्रनी नक्कि
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प्रगटे जैनोमां सहु शक्ति टाळतां दुर्मति आसक्ति आतम ईश्वर व्यक्ति
सर्व स्वार्पण भोगी थाशो. जमता शुष्कपणुं नहि पाशो देहाध्यासादिक अध्यासो टात्री सुखिया याशो.
प्रभु महावीर वेत्यवंदन,
वीश तीर्थकर कहा, अनंत शक्तिनाथ प्रभु महावीर सेवतां, जीवो थाय सनाथ. प्रभु महावीर वर्धमान, चोवीशमा जिनराज कलिमां महावीर जे बने, तेहकरंतो राज.
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