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(२९) पार्श्व प्रभु स्तुति. पार्श्व प्रभु बोले जग लोको, मोह थतो मनमाथी रोको: पाडो नहि दुःख पडतां पोको, उद्यमथी पग तोको. जैन धर्म जगमा प्रसरावो संघ भक्ति आचारे लावो मानव भवनो लेशो ल्हावो निश्चय एवो लावो जैन धर्म शत्रुओ हठाणे संघनी रक्षालां लय लावो तन मन धनतो लोग धरावो, निश्चय मुक्ति पावो. जैनोमां जिनमां नहीं नेद भक्तिमां नहीं धारो खेद प्रभु थवानी एह उमेद निर्मोही 2 वेद.
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