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आतम ! अपना देशमें जाना.
सोरठ. आतम अपना देशमें जाना, परदेशोंका मोह न करना; आयु खूटे न मुंझाना....................................आतम. अपना देशमें सुख मजा है, परदेशे दुःख पाना; अपना देशमें आपहि श्याना, परदेश होत दिवाना. आतम. १ मोहादिकयुत मन परदेश है, करना नहि अभिमाना; अब चालो निज अलखदेशमें, होकर प्रभु मस्ताना. आतम. २ अपना देशमें परमानंदरस, पीकर हो गुल्ताना; परपुद्गल परदेशमें दुःखका, दरिया बहुत तुफाना. आतम. ३ जाना न आना खाना न पीना, असंख्यप्रदेशममाना; जन्मजरा नहि मृत्यु रु तनमन, चिदानंदप्रधाना. उपयोगे ब्रह्मदेशमें जाना, समभावे दिल माना; बुद्धिसागरदेश पिछाना, ठरिया ठाम ठिकाना. हमारो कोइ न लेजो केडो.
सोरठ. अमारो कोइ न लेजो केडो, दूर कयौं दुनियानो बखेडो अमने कोइ न छेडो....................................अवारो. अमो अमारा मारग लाग्या, करता न कोइथी चेडो; अमने अमारी लागी दुनिया!!, नाहक क्यां झंझेडो. अमारो. १ अमो अमारुं सूझ्युं करीए, तमे तमाएं फेडो . मुज पारगमां माथु न मारो, कर्म तमारुं खेडो. अमारो. २ जेवा तेवा अमे अमारे, नहीं ओढाय पछेडो बुद्धिसागरपूर्णानन्दमां, आपो आपने तेडो. अमारो. ३
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