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ભજનપદ્ય સંગ્રહ नहीं कहीं कंइ सत्य रजीष्टर, पूर्ण सत्यका धरना; अनुभवमें आवे सो सच्चा, नाहि सत्यसें फरना. साधु. ३ स्वातंत्र्ये मरना सो अच्छा, सत्यपनेमें विचरना; सदा सत्यसें हो स्वाधीना, मरना पग नहि डरना. साधु. ४ स्वानुभव सच्चा दिल भरना, सत्यजीवन संचरना: बुद्धिसागर स्वातंत्र्ये रे, दुःखोदधिकुं तरना. साधु. ५ સંવત ૧૯૭૨ મુર્ગશીર્ષ વદિ ૪
ॐ शान्तिः ।
जगत्ने ब्रह्मरूपे देख. ब्रह्मरूपसे देख जगत्कुं, मायाकी मत कर यारी; मनोवृत्तिका चेला मत हो, अलख अकल निजकुंधारी. ब्रह्म. १ शास्त्रवासना लोकवासना, विषयवासना कर दूरे आसक्ति छंडे अन्तर्मा, प्रभुस्वरूपे सहु स्फुरे. ब्रह्म. २ मेरा तेरा भावे मरना, अभेदसे होता जीना; दशा ऐसी अन्तरमें धरना, मत होना काहु दाना. ब्रह्म. ३ वृत्ति जब तक है संसारा, नित्ति तब है मुक्ति सर्व जीवोंकु प्रभु समन लें, शिवाद पानेकी युक्ति. ब्रह्म. ४ सर्व वस्तुमें ब्रह्मभावसें, तन्मय लीन सदा रहेना; बुद्धिसागर अनुभव पा कर, लेना देना क्या कहेना. ब्रह्म. ५ સંવત ૧૯૭ર મૃગશીર્ષ વદિ ૫
ॐ शान्तिः ३.
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