________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
ભજનપદ્ય સંગ્રહ,
सबकुं आत्मसदा अवबोधी, शुद्धप्रेम सबसे करना. आपो आप अनुभव खीलता, सहजभावमें रहनेसें; स्वयं अनुभव होता निश्चय, वले कहा कुच्छ कहनेसे. १० पूर्वभवोंका संस्कारीकुं, रस पडता है तान जगे। वलता सो निज अनुभव वाटे, मस्त बने सो रगोरगे. ११ खूले चक्षु जिस्की वह देखे, अन्धाकुं क्या देखाना; तत्वकथा क्या मूरख आगे, बहिरा आगे क्या गाना. १२ आत्मस्वभावे मस्त बनो तुम, सर्व शास्त्रका सार वही; बुद्धिसागर आत्म उजागर, दशा लहों समभाव ग्रही. १३
ॐ शान्तिः ३. સંવત ૧૯૭૨ કાર્તિક શુદિ ૭ શનિવાર.
*खुदा. खुदा हमेरा अजब रंगीला, अगमरूप धरनेवाला; अप्पा परमप्पा अल्ला है, अकल कला करनेवाला. खुदा. १ सर्व समाता उसकी अंदर, नूर वहे अपरंपारा; षा कारक चक्रोका धारक, इल्लिल्ला सब आधारा, खुदा. २ आनन्दका दरिया व सदा है, होता नहि दिलसें न्यारा; नाम रूपसे भिन्न निरञ्जन, सदा करंता उजियारा. खुदा. ३ नापाक खाख नहि सदा पाक है, निर्मलज्योति नबी सदा; चौदा तबककी बात पिछाने, कर्ता हो और खुदा. खुदा. ४ रहिम सदा सब जीवो उपर, करनेवाला रहिमाना;
* સ્યાદ્વાદ અધ્યાત્મ દષ્ટિએ આત્મારૂપ ખુદાને અનુભવ કરીને આત્મખુશનું વર્ણન કર્યું છે, આત્મા બ્રહ્મ અદા પર અપેક્ષાએ સર્વ રૂપક અવબોધવાં. કાંદિ ષટકારક વાગનાં ચક્રરૂપકારક જાણવાં. શયતાન–મેહ-કર્મ જાણવું. ઇત્યાદિ જ્ઞાની ગુરૂગમથી જાણવું.
For Private And Personal Use Only