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परोपकार परोपकारे रीजीए. परोपकारे धर्म परोपकाराभ्यासथी, नासे सपळो कर्म. द्रव्य भाव बे भेदथी, परोपकार कहाय; निश्चयने व्यवहारथी, तेना भेद ग्रहाय. परोपकारे ज्ञातृता, परोपकारे मुक्ति परोपकारे सत्य धर्म, तत्त्व वातनी युक्ति. परोपकारे उच्च भाव, जगमां कीर्ति गवाय; परोपकार सद्गुण विना, नीचा सर्व गणाय. ४ उपकारे जे रक्त छे, धर्मी सत्य विचार; परस्पर उपकार छे, तत्त्वार्थ सूत्र मझार. उपकारी अरिहन्त छे, परमेष्ठीमां मुख्य; परोपकार कर्या विना, कोइ न होय प्रमुख. उपकृति दुर्लभ अहो शुभोन्नति करनार; धन्य धन्य ते प्राणिया, तरे अने तरनार. सम्यक्त्वज्ञान प्रदानथी, परोपकार महान् उत्तम जन सां राचता, भाखे छे भगवान् ज्ञान दान उपकार छे, देवो पर उपदेश, मोटो परोपकार छे, ठळता सघळा कलेश. करे एकेन्द्रिय उपकृति, निज शक्ति अनुसार मनुष्य थई जे नहि करे, तेनो धिक अवतार. १० तन मन धनने ज्ञानथी, करवो परोपकार, बुद्धिसागर सुख लहे, चिदानन्द जयकार. ११
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