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मान्य भाषाओ छे तो ते भाषा प्रिय केम नही. ?
तेमने पण अमो खुल्ला हृदयथी कहिशु के, गुजरातमा अत्यारे गुजराती भाषा जाणनार जेटलां माणसो छ तेथी केटलाक ओछा अंशे अंग्रेजी अगर संस्कृत भणेलाओ छे. माटे संस्कृत जाणनार माटे संस्कृत भाषा उत्तम अने अंग्रेजीवाळाने इंग्रेजी ठीक. संस्कृत भणेलाने इंग्रेजी नकामी, ने इंग्रेजीवाळाने संस्कृत नकामी छतां गुजराती तो बेउने उपयोगी छे माटे गुजराती भाषानुं प्राधान्य कहीए ए अमने ठीक जणाय छे. गुर्जर देशवाळा मनुष्योने गुर्जर भाषा मातृ भाषा गणाय छे मातृ भाषामां जे हृदयना उद्गार नीकळे छे ते अन्य भाषामां नीकलता नथी.
जे वखतमां संस्कृत भाषा आर्यावर्तमां चालती ते वखतमां संस्कृत ग्रंथो रचाया छे. पण काल बळे जेम जेम भाषामा फेर. फार पडी प्राकृत भाषाो थवा मांडी त्यारे ते ते भाषाओर्नु संस्कृत करतां प्राधान्यत्व थयुं. हाले तो संस्कृत अने इंग्रेजी भाषाओनां गुजरातीमां भाषान्तर बनाववां पडे छे. अमो एम नथी कहेता के संस्कृत भाषा करतां गुजराती अने बीजी प्राकृत भाषाओ खेडायली छे. संस्कृत भाषा: घणी गौरवतावाळी छे ए नकी छे पण हाल आपणा देश, धर्म अने व्यवहारना उदय माटे गुजराती भाषामां ज जनसेवा बजाववानी छे तेम वीजा देशवाळाए पोत पोतानी भाषामां सेवा बजावा जेवु छे.
जेम संस्कृतमा एक अष्टक कयु होय अने हेन्डबील तरीके तेने जन समाजमां मोकल्यु होय तो तेने हजारमा बे चार जणज आदर पूर्वक स्वीकारशे पण जो गुजरातीमां भजन, ख्याल के ठुमरी के दुहा चोपाइ-या छंदमां लखी कोइ मोकलवामां आवे तो हजारके लगभग लाख उपर स्वीकारनार मळशे. छेवटे अभ
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