________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
१३ श्रेयांसनाथ स्तवन.
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
श्री वीर प्रभु चरम ए राग.
श्रेयांस प्रभु अन्तर्यामी, क्षायिक नवलब्धि धणी, त्राता भ्राता परोपकारी, निर्भय योगी दिनमणि. प्रभु शुद्धस्वरूप त्हारु जेवुं प्रभु शुद्ध स्वरुप म्हारु तेवुं . उज्ज्वल ध्याने खेंची लेवुं,
श्रेयांस. १
प्रभु नाम रुपथी भिन्न खरो, प्रभु अनन्त सुखनो भव्य झरो; में स्थिर उपयोग दील धर्यो,
श्रेयांस. २
उत्पत्ति व्यय ध्रुवता भोगी, योगातीतपण निर्मल योगी; कर्मातीत तुं नीरोगी,
श्रेयांस ३
ध्याने प्रभुनी पासे जावुं, साधनथी साध्यपणुं पावुं; ज्ञानादर्शे प्रभु घटलावं,
श्रेयांस ४
प्रभु दर्शन देजो शिव रशिया, प्रभु प्रेमे म्हारा दिल वसिया; स्थिर उपयोगे जिन उल्लसिया, श्रेयांस. ५
प्रभु परममहोदय पद आपो, प्रभु जिन पदमां मुजने थापो कयी कर्म अनादि सहु कापो,
श्रेयांस. ३
For Private And Personal Use Only
प्रभु उपादान योगे आवो, भक्तिथी निज गुण विरचावो, बुद्धिसागर मळीयों रहावो.
श्रेयांस. ७