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चेतनने ईश्वर जाणे ते सहेजे तरतो, चेतनने ईश्वर जाणेते सुखडां वरतो; चेतनने ईश्वर जाणेते स्थिरता लावे, चेतनने परमेश्वर जाणे ते सुख पावे. आत्म शक्ति खीलवामां ध्यान कुंची उच्च छ । आत्म शक्ति प्रगटताथी जगत् जन नहि नीच छे. ॥ १७ ॥ लक्ष चोराशी जीव योनिमा शक्ति सरखी, सिद्ध समी शक्ति छे सहुनी ज्ञाने परखी; आत्म शक्तिने खीलववाथी व्यक्ति प्रगटे, आत्म शक्तिने खीलवतां बाधकता विघटे. उपशम क्षयोपशम अने घट क्षायिक भावे जाणीये; बुद्धिसागर आत्म शक्तिज समजीने दील आणीये. ॥ १८ ॥ आत्म शक्तिनो उद्यम करतां शक्ति साची, आत्म शक्ति उद्यम करवामां रहेशो राची आत्मशक्तिना उद्यमयी झट आश्रव नाशे, आत्मशक्तिना उद्यमथी ईश्वरता पासे. आत्मशक्ति प्रगटाववामां संयम सत्य उपाय छे बुद्धिसागर आत्मध्याने शक्ति तो प्रगटाय छे. ॥ १९ ॥ तप जप संयमथी चेतननी शक्ति वृद्धि, पिंडस्थादिक ध्यान धर्याथी प्रगटे ऋद्धि अहाविश लब्धि आतमनी शक्ति साची, चेतन तन्मय चित्त करीने रहीए राची. मंत्रहठने राज योगेज चैतन्य शक्ति भक्ति छे; बुद्धिसागर ध्यान योगे प्रगटती निज शक्ति छे. ॥२० ।। बाह्य अने अन्तर त्राटकथी विलसे शक्ति,
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