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आत्म शक्ति सत्य मोटी रोग दोषो खाळती. मंत्रोपासनमां पण श्रद्धानी छे शक्ति, मंत्रोपासनथी प्रगेटे छे देवनी व्यक्ति; श्रद्धा पण मननी शक्ति छे संयम भारी, हेतु पूर्वक ज्ञान थयाथी श्रद्धा सारी. आत्म शक्ति सत्य पंथेज वापरे वृद्धि खरी, बुद्धिसागर ज्ञान योगे आत्म शक्तिज जयकरीरी आत्म शक्तिने दैविक शक्ति जगजन कहेवे, - आत्म शक्तिने आद्य शक्ति नामे कोइ सेवे; पिंड पिंडमां आत्म शक्तिनी ज्योतिज जागी, आत्म शक्ति उपासक योगी तेनोज रागी. आत्म शक्ति योगथी देव अनेक रूपोने करे, आत्म शक्ति योगथी देव गगनमां शट संचरे. आत्म शक्तिना प्रादुर्भावे ईश्वर पोते, चेतन ते परमेश्वर बीजे शीदने गोते; आत्म प्रभुनी सेवार्थी छे मीठा मेवा, आत्म शक्तिने खीलववाथी चेतन देवा. कर्म पडदो चीरीने झट ब्रह्मतेजे झगमगे, बुद्धिसागर आत्म सूर्य पिंडमां तो तगतगे. पोते ईश्वर भ्रांति भागे घट परखातो, पोताने पोते गातो ने पोते ध्यातो; पोताने पोते कहेतोने पोते रमतो, पोताने तो पूज्य गणीने पोते नमतो, ईश्वर पोते देहमां छे चैतन्य शक्ति व्यक्तिथी, बुद्धिसागर वीर्य शक्ति आतमा निज भक्तिथी.
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