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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सहु तीर्थ शिरदार दया तीर्थ दिल धार; दयांविना डहापणना दरियामां धूळ छे, सुरगति मनुगति दया कल्पवृक्ष पुष्प. शिवफल पामवामां दया सानुकूळ छे; दयामय दील थाय भवभय रोग जाय, दयाधर्म पाळवाथी शिव मुख हस्त छे. शाता अने शिव सुख दयानो प्रभाव जाण; धीनिधि मुनिनुं मन दयामांहि मस्त छे. ॥२॥ अलखदेशगान. अलख हमारा देश खरा हे, अलख हमारा नामा है; सिद्धस्थान हे सत्य हमारा, आश्रय आतमरामा हे. अलख. १ अलख फकीरी अलख वेषमां, सदाचित्त मस्ताना है; अलख धूनथी हम रंगाया, ज्ञाने हम गुल्ताना हे. अलख. २ अलख दशामां दर्द गया सहु, आना नहि अब जाना है; नामरूपसे न्यारा हम है, सत्य अलख फरमाना हे. अलख. नरनारीके नहीं नपुंसक, चिदानन्द सुख प्यारा है; रत्नत्रयीमां हम हे राता, पुद्गल हमसे न्यारा हे. अलख. ४ ज्ञान ज्ञेय ने ज्ञाता हम हे, चेतनता सुखकारी हे; बुद्धिसागरःसोऽहंसोऽहं, ध्याने स्थिरता धारी है.. अलख. ५ मायाथी दूर रहेवानो उपदेश. रांग थाळ. .. मायामां शीदने मुंझेरे, जीवलडा जो तुं; मोहे सत्य न बुजेरे, जीवलडा जो तुं, जूठी माया जगनी, आवे न साथे भाइ; For Private And Personal Use Only
SR No.008537
Book TitleBhajanpad Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year1908
Total Pages330
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati & Worship
File Size13 MB
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