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मङ्गलमा मङ्गल छे एह, रत्नत्रयीनुं चेतन गेह, चेतन पूजे ने पूजाय, अद्भूत आतमनो महिमाय; शोधो चेतन वसियो देह, मङ्गलमा मङ्गल छे एह. ॥३२॥ चेतन जाण्याविण सहु धूळ, अमूर्त चेतनतुं नहि मूळ, अनाधनन्ति स्थिति धेरे, चेतन भवसागरने तरे; चतुर चेतन सत्य अमूल्य, चेतन जाण्याविण सहु धूळ. ॥६३।। सहज स्वरूपी चेतनराम, क्षायिकभावे ठरतो ठाम; पुरुषोत्तम जे पुरुष पुराण, षद्रव्योनो सम्यग् जाण, असंख्यप्रदेशी रुटुं गाम, सहज स्वरूपी चेतन राम. ।।६४।। हेय ज्ञेय छे सहु बाह्यार्थ, सुखकर अन्तर गुणनो सार्थ; चेतन सेवाथी सुख मळे, मोहमायादिक दोषो टळे; चेतन आदरवो परमार्थ, हेय ज्ञेय छे सहु बाह्यार्थ. ॥६५ ।। जाग जार्ग अब चेतन जाग, कर तुं शाश्वत सुखनो राग; धार धार चेतन अब टेक, कर तुं शाश्वत ज्ञान विवेक, सदुपयोगे धर वैराग्य, जाग जाग अब चेतन जाग. ॥ ६६ ॥ आतम धर्मे निशदिन राच, चेतनना धर्मोने याच; सदुपयोगे निर्मलहंस, चेतन धर्मो सत्य प्रशस्य, अनुभव योगे हर्षे माच, आतम धर्मे निशदिन राच. ॥ ६७ ॥ अष्ट सिद्धि रूद्धि भण्डार, याचक चेतन छे दातार; परमातम पोते तुं खास, धर तुं निज शक्ति विश्वास, पामे भवजलधिनो पार, अष्ट सिद्धिरूद्धि भण्डार. ॥६८॥ वळजे चेतन शिवपुर वाट, चरण करण- रचजे हाट; अन्तर गुणना घडजे घाट, धोजे कर्म मेलनो काट, बेसीश नहि कुमतिनी खाट, वळजे चेतन शिवपुर वाट.॥६९॥ चाल चाल चेतन शिव पन्थ, वांची सूत्रो ने सद्ग्रन्थ
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