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अज अमर साचुं, मोक्षनुं स्थान आपे. गहन समय वाणी, बोध तेनो प्रकाशे, गुरुगम विण काचं, ज्ञान चित्ते न भासे; चरणकमल सेवा, पूर्वपुण्ये लहीजे, गुरुवदन निहाळी, सत्य शान्ति ग्रहीजे. जिवन सफल थावे, सद्गुरु प्रेम भावे, गुरु नयन पाथी, दुःख दौर्भाग्य जावे; प्रतिदिन गुरु वन्दं, धर्मनुं दान दाता, सरस वचन बोधे, सर्व वस्तु प्रमातासुगुण गण खजानो, सद्गुरु प्राणदाता, सुरतति पति वन्दे, सत्य ले भव्य भ्राताः जनक शरण त्हारु, आशरो एक म्हारे, धनिधि मुनि नमे छे, तुं तरे शिष्य तारे. ॥ ४ ॥
आत्माने अलखदेशोपदेश.
ललित.
अलख देशमां हंस चालकुं, अलख देशमां हंस म्हालवं, अलख देशनी धून धारवी, अशुभ जीवनी ठेव बारवी ॥ १ ॥ खलकमां खरे ब्रह्म सत्य छे, अलखना विना अन्य काच छे, अलख धूनमां लक्ष्य छे खरु, अलख देशने प्रेमथी वरु ।। २ ।। अलख रङ्गमां राग छे खरो, अलख गङ्गमां स्नानने करो; अलख यानथी अब्धिने तरो, अलख धूनधी कर्मने हरो. ॥ ३ ॥ अलख देशमां क्लेश ना कदा, अलख देशने पामिए यदा, अलख ज्योतथी सर्व भासतुं, अलख ज्योतथी कर्म नासतुं ॥ ४ ॥ अलख सत्य छे पिण्ड जागतो, अलख धूनमां भव्य रागतो,
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॥ १ ॥
॥ २ ॥
॥ ३ ॥