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श्री वर्धमान जिनस्तुतिः
मालिनीछन्द:
भवजल निधि पोतः, वीर विश्वेश देवा, सुगति सुखद नेता, सारता देव सेवा: समय समय नाणी, आण व्हारी प्रमाणी, सरस वचन जाणी, आदरे भव्य वाणी. स्तवन नमन कीजे, तत्त्वनुं सार लीजे, प्रभु वचन लहीने, भव्य प्राणी तरीजे; यतिपति नतदेवा, दीलमां नित्य गावं, समय सरस पामी, मुक्तिमां शिघ्र जावं. शरण शरण म्हारे, नाथ तुं छे दयालु, चरण कमल सेवा, नाथ देजो कृपालु; स्तवन नमन कीजे, कर्मनां दुःख कापे, नव गुण गण भावे, ध्येयनुं रूप मापे. गत मलिन विरागी, बन्दु पाय लागी, तुजविण नहि राचं, बाल व्हारोज रागी; जनन मरण फेरा, भागशे वीर नामे, धनिधि मुनि नमे छे, प्रेमथी अष्ट यामे.
सद्गुरु स्तुति.
मालिनी छन्द.
सरस सुखद सेवा, सेव्यनी तो कहावे, गुरु वचन लहीने, मोक्षमां भव्य जावे; शरण शरण साधुं शिष्यनुं दुःख कापे,
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