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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री वर्धमान जिनस्तुतिः मालिनीछन्द: भवजल निधि पोतः, वीर विश्वेश देवा, सुगति सुखद नेता, सारता देव सेवा: समय समय नाणी, आण व्हारी प्रमाणी, सरस वचन जाणी, आदरे भव्य वाणी. स्तवन नमन कीजे, तत्त्वनुं सार लीजे, प्रभु वचन लहीने, भव्य प्राणी तरीजे; यतिपति नतदेवा, दीलमां नित्य गावं, समय सरस पामी, मुक्तिमां शिघ्र जावं. शरण शरण म्हारे, नाथ तुं छे दयालु, चरण कमल सेवा, नाथ देजो कृपालु; स्तवन नमन कीजे, कर्मनां दुःख कापे, नव गुण गण भावे, ध्येयनुं रूप मापे. गत मलिन विरागी, बन्दु पाय लागी, तुजविण नहि राचं, बाल व्हारोज रागी; जनन मरण फेरा, भागशे वीर नामे, धनिधि मुनि नमे छे, प्रेमथी अष्ट यामे. सद्गुरु स्तुति. मालिनी छन्द. सरस सुखद सेवा, सेव्यनी तो कहावे, गुरु वचन लहीने, मोक्षमां भव्य जावे; शरण शरण साधुं शिष्यनुं दुःख कापे, 3 For Private And Personal Use Only ॥ १ ॥ ॥२॥ ॥ ३ ॥
SR No.008537
Book TitleBhajanpad Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year1908
Total Pages330
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati & Worship
File Size13 MB
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