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आतमा तारजो आतमा तारजो, कपटनी कापिने सर्व फांसी; कपट फांसी पडया धर्म जे साधता, देखता आवती दील हांसी. कपट.७ विजयसिंहे रॅच्युं कपट बहु कारमुं, तेहथी हिन्दुओ सर्व हार्या; कपट करनार ते दुःख पाम्या बहु, सर्व अन्ते गया तेह मार्या. कपट. ८ कपटथी कोइ काळे भो नहीं अरे, कपट छे पापमां पाप मोडं; कपट आवेशमां कार्य अवछं हुवे, कपटथी कर्म नहि थाय छोटं. कपट.९. कपटने त्याग वचन मन कायथी, कपटना त्यागथी सद्य मुक्ति; बुद्धिसागर सदा सरलता राखिए, तेहथी पामिए सत्य युक्ति. कपट.१०
उपकारमहिमा.
झलणाछन्द. कार्य उपकारनां कीजिए मानवी, लक्ष्मीथी लीजिए सत्य ल्हावो; ज्ञानिने स्हायथी सत्य उपदेशथी, सत्य आनन्दने भव्य पावो.कार्य.? धर्म उपदेशथी सत्य उपकार छे. जीवने दुःखमांथी वचावो; जीवननी सफलता सत्यउपकारमा, कार्य परमार्थनां दील व्यावो.
कार्य ॥२॥ भव्य उपकारिना दीलमा छे दया, दील उपकारिनुं स्वच्छ रहेवे; धन्य छे जगत्मां जन्म उपकारिनो,स्वर्गने सिद्धिपण तेह लेवे.कार्य.३ बाह्यमा क्यां रमो मोहवनमां भमो, कार्य उपकारनां दील धारो; जगत्मां मान पामो अहो प्राणिया,सत्य उपकारथी जीव तारो.कार्य.४ पूज्य तीर्थेश्वरा देशना देइने, प्राणिना स्तोकने शिघ्र तारे; परम उपकारमा कर्मनो नाश छे,जन्मनी सफलता सत्य सारे.कार्य.५ राचशो स्वपर उपकारमा मानवी, परम उपकारथी कार्य सिद्धि बुद्धिसागर सदा सत्य उपकारथी,पामिए सत्य चैतन्य रूद्धि.कार्य.६
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