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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir કર आतमा तारजो आतमा तारजो, कपटनी कापिने सर्व फांसी; कपट फांसी पडया धर्म जे साधता, देखता आवती दील हांसी. कपट.७ विजयसिंहे रॅच्युं कपट बहु कारमुं, तेहथी हिन्दुओ सर्व हार्या; कपट करनार ते दुःख पाम्या बहु, सर्व अन्ते गया तेह मार्या. कपट. ८ कपटथी कोइ काळे भो नहीं अरे, कपट छे पापमां पाप मोडं; कपट आवेशमां कार्य अवछं हुवे, कपटथी कर्म नहि थाय छोटं. कपट.९. कपटने त्याग वचन मन कायथी, कपटना त्यागथी सद्य मुक्ति; बुद्धिसागर सदा सरलता राखिए, तेहथी पामिए सत्य युक्ति. कपट.१० उपकारमहिमा. झलणाछन्द. कार्य उपकारनां कीजिए मानवी, लक्ष्मीथी लीजिए सत्य ल्हावो; ज्ञानिने स्हायथी सत्य उपदेशथी, सत्य आनन्दने भव्य पावो.कार्य.? धर्म उपदेशथी सत्य उपकार छे. जीवने दुःखमांथी वचावो; जीवननी सफलता सत्यउपकारमा, कार्य परमार्थनां दील व्यावो. कार्य ॥२॥ भव्य उपकारिना दीलमा छे दया, दील उपकारिनुं स्वच्छ रहेवे; धन्य छे जगत्मां जन्म उपकारिनो,स्वर्गने सिद्धिपण तेह लेवे.कार्य.३ बाह्यमा क्यां रमो मोहवनमां भमो, कार्य उपकारनां दील धारो; जगत्मां मान पामो अहो प्राणिया,सत्य उपकारथी जीव तारो.कार्य.४ पूज्य तीर्थेश्वरा देशना देइने, प्राणिना स्तोकने शिघ्र तारे; परम उपकारमा कर्मनो नाश छे,जन्मनी सफलता सत्य सारे.कार्य.५ राचशो स्वपर उपकारमा मानवी, परम उपकारथी कार्य सिद्धि बुद्धिसागर सदा सत्य उपकारथी,पामिए सत्य चैतन्य रूद्धि.कार्य.६ For Private And Personal Use Only
SR No.008537
Book TitleBhajanpad Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year1908
Total Pages330
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati & Worship
File Size13 MB
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