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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir डाकिणी शाकिणी भूत सहु नासतां, शियलना तेजथी भव्य जाणो; मन्त्रनी सिद्धियो शियलना तेजथी, शीलथी होय नहि भय कशानो. सत्य. ॥ ४ ॥ वचननी सिद्धि पण शियलना तेजथी, शियलना तेजथी सत्य शान्ति शियलनुं तेज छे .सूर्यथी मोटकुं,शियलना तेजथी देहकान्ति. सत्य.५ शियलनी सिद्धिमां सर्व सुखडां वसे, सर्व वृतमां सदा शील मोटुं; शियलने जलधिनी उपमा शास्त्रमां, वेण जाणीश नहि भव्य छोटुं. सर्व. ॥ ६ ॥ शियलना तेजथी योगनी सिद्धियो, शियलना तेजथी होय मुक्तिः द्रव्यने भावथी शियलने धारवं, सर्व सिद्धान्तनी एह युक्ति. सर्व. ७ पामिए वल घणुं शियलना तेजथी, शियलना तेजथी दीर्घ आयु; । शियलना तेजथी सर्व रोगो टळे, वीर तीर्थकरे एम गायु. सर्व. ८ द्रौपदी कुन्ती ने मदनरेखा सती, शियलना तेजथी शान्ति पाम्यां; सर्व सङ्कट टळे च्हाय तेतो मळे, शियलना तेजथी दुःख वाम्यां.९ ब्रह्मचर्ये सदा भव्य राची रहो, शियलने टेकथी दील धारो; बुद्धिसागर सदा शियलना तेजथी, पामिए दुःखनो भव्य आरो. सर्व. ॥ १०॥ सत्यमहिमा. झूलणाछन्दः सत्य वाणी वदो सत्य वाणी वदो, सत्यवादी सदा भव्य मोटा; जूठ वचने अरे सत्यने हारिए, जाणजो जूठथी दुःख गोटा. सत्य. १ सत्य बोली भवी कीर्ति कमला लहो, सत्यमां सर्व धर्मो समाया; सत्य छे दिनमणि सारि चळकतुं, सत्यथी शोभती जाण काया. सत्य. ॥ २॥ For Private And Personal Use Only
SR No.008537
Book TitleBhajanpad Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year1908
Total Pages330
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati & Worship
File Size13 MB
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