________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
ध्येय ध्यान ध्याता एकतानमांहि चेतन छे, प्रमेय अनंत ज्ञान प्रमाणथी पेखजे. भिन्नाभिन्न प्रमेयथी प्रमाण जाणीने जीव, धीनिधि स्वरूप सत्य ध्यानमांहि देखजे.
२
मनहरछंद. संसारमा सुख नहि धनके मोटाइ मांहि, संसारमा सुख नहि भोजनथी धारजे; संसारमा मुख नहि बालयुवा वयविषे, संसारमा सुख नहि पुत्रथी विचारजे; गयां दुःख आवे दुःख भोगवातां दीन दुःख, चारगतिमांहि दुःखततितो अपार छे; संसारनी झाळमांहि सुखनी आशाए जीव, फस्यो दुःख लहे सुख नहीं तलभार छे. ॥१॥ संसारमा मुख नहि गाडी वाडी लाडी धकी, संसार असारमांहि मुख न जराय छे; भ्रांतिथी भूलेल झांझवाना जल मृग पेठे, सुखनी आशाए जीव ज्यां त्यां खूब धाय छे; जडमां न सुख अरे कहुं जीव सत्य खरे, चेतनमां मुख सत्य चित्तमांहि धारजे; सत्य मुखमणिधाम नहि जेनुं रूप नाम,. धीनिधि चेतन मुख सत्य तुं विचारजे. ॥२॥
मनहरछंद. उपशम क्षय उपशम अने औदायिक, क्षायिकने परिणामी पंच ए विचारजो;
For Private And Personal Use Only