________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
१२६
देवचन्द्रजी आगमसारे भाखता, सद्गुरु मुनिवर भाख्या छे मुखकारजो; धर्मधुरंधर यशोविजयजी वाचके, भाख्यु दीक्षाधारी गुरु मुनि सारजो. पिस्ता. ॥ १४ ॥ दीक्षाव्रत धार्या विण चारित्री नहीं, व्यवहारे संयमविण नहि निग्रन्थजो; संघ चतुर्विध स्वामी सुरिवरने कह्या, सूत्रोनी श्रद्धाथी शिवपुर पन्थजो. पिस्ता. ॥ १५ ॥ सम्मतितर्के भाख्यु मुनिवर सद्गुरु, गन्धहस्तिमहाभाष्ये भाख्युं तेम जो; उच्चरवां व्रत मुनिनी पासे भाखियुं, मुनिगुरुनी पासे समकित नेमजो. पिस्ता. ॥ १६ ॥ मुनिगुरु विण श्रावक होवे नहि कदी, कल्पसूत्रमा मुनिगुरू आचार जो; श्रमणीना आचारो पण शुभ दाखिया, सद्गुरु मुनिने मानी धरी व्यवहार जो. पिस्ता. ॥ १७ ॥ द्रव्य क्षेत्रने काल भावथी सद्गुरु, मुनिवर वर्ते जंगमतीर्थ सदाय जो; सद्गुरु मुनिने मानी भव्यो चेतजो, परमपूज्य मुनिवरगुरुजी वखणाय जो. पिस्ता. ॥ १८ ॥ सहस्रअवधानी मुनिसुन्दर भाखता, उपदेशरत्नाकरमां मुनिगुरु साच जो; अभयदेव सूरिवरजी वृत्तिमां कहे, मुनि गुरु उपदेशक साची वाच जो. पिस्ताः ॥ १९ ॥ चारित्रापेक्षाए मुनिवर सद्गुरु,
For Private And Personal Use Only