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मनोवर्गणाथी वळी आठमी कार्मण वर्गणामां अनंत गुणाधिक परमाणुओ जाणवा, एवी आत्माने एकेक प्रदेशे अनंति कर्मनी वर्गणाओ रागद्वेषनी चिकाशे करी लागी छे, तेथी जीवना ज्ञानादिक गुणर्नु आच्छादन थयुं छे, माटे जीव थकी पुद्गल द्रव्य अनंतगुणा जाणवा, पुद्गळ सक्रिय छे. पूर्वोक्त आठ वर्गणा जीवने अनादिकाळथी लागी छे, तेमां एक औदारिक २ वैक्रिय ३ आहारक ४ तैजस ए चार वर्गणा बादर छे, तेमां पांचवर्ण, बे गंध, पांच रस, अने आठ स्पर्श, ए वीश गुण जाणवा. शेष चार वर्गणा सूक्ष्म छे, तेमां पांचवर्ण, वे गंध पांच रस अने चार स्पर्श मळी १६ शोळ गुण छे. तथा एक परमाणुमा एक वर्ण, एक गंध, एक रस अने बे स्पर्श मळी पांच गुण छे. पुद्गलद्रव्यना वे भेद छे एक चार स्पीरुपी पुद्गलद्रव्य तो चक्षुइंद्रियथी देखीं शकाय नहीं, तेने तो विशिष्टज्ञानी देखे, आठ कर्मना पुद्गल अहार पाप स्थानक पुदगल कार्मणशरीरना पुदगल तथा मनोवगणाना पुदगल तथा वचनवर्गणानां पुद्गल ए सर्व प्रयोगसा चार स्पर्शीरुपी पद्. गल द्रव्य जाणवा. __आठ स्पर्शीरुपी पुद्गल केटलांक द्रष्टि गोचरमां आवे. अने केटलांक आवे नहीं. वायुकायना पुद्गल, तथा आहारक शरीरना विस्रसा पुद्गल अने छ प्रकारनी द्रव्य लेश्याना पुद्गल इत्यादिक वस्तु आठ स्पर्शी जे छे, ते मध्येना जे पुदगलना खंधमां कर्कश अने भारे स्पर्शना पुद्गल घणा होय
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