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छे, एम मानवु जोइए. ज्यारे मोटा पुन्यनो उदय थाय छे त्यारे मनुष्य जन्म पामी शकाय छे. मनुष्य जन्म पामवो तेमां पुण्य कारण जाणवू. पण आलंबन कहे, पडशेके-पाप तडका समान छे अने पुण्य छांयडा समान छे, मुख्य चाहना तो मुक्ति पद पामवानी राखवी जोइए पण पुण्यनी चाहना राखवी नहीं!
जेम खेडूत बाजरी वावे छे त्यारे बाजरीनी आशा चाववानो प्रयत्न करे छे पण घास तो बाजरी पाकतां सहेजे उत्पन्न थाय छे, बाजरीयु थतां पहेलां तो सांठो तैयार थाय छे, अने तेना उपर बाजरीयुं आवे छे, अने तेमांथी बाजरीयुं पाके त्यारे बाजरी नीकळे छे. जो बाजरीनो सांठो ने होय तो बाजरीयुं थाय नहि अने बाजरी नीकळे नही, जेम बाजरीनो सांगे बाजरीया प्रत्ये कारण छे तेम द्रव्यधर्म ते भावधर्म प्रत्ये कारण छे, द्रव्यधर्म विना भावधर्मनी माप्ति थइ शकती नथी, ते उपरना दृष्टान्ते करी समजबू, माटे द्रव्य धर्म अने भाव धर्मर्नु विशेष स्वरुप गुरुमुखे सांभळी तेनी श्रद्धा करी धर्म साधन करवामां प्रयत्न करवो तेमां हित छे.
दुहा. द्रव्य धर्म ते भावनुं । कारण जाणे एम ॥ व्यवहार निश्चय भेदथी।धर्म कह्यो वलि तेम॥३॥
भावार्थ-द्रव्य धर्म ते भाव धर्मनुं कारण छे जेम घीन कारण दूध माखण छे, वळी जेम पुत्र पुत्रीनी उत्पत्तिनुं
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