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तेमने छ मास बीती गया त्यारे राजाए कडं आपनी चर्चावो 'पार आवतो नथी अने मारां तो राजकार्य सीदाय छे, माटे आप पोताना स्वस्थानके पधारो. श्री गुरुए कयु के आवती काले वाद निर्णय करीश. सभा हाजर थइ, राजादि परिवार युक्त गुरु वाणीयाना हाटे जइ कहेवा लाग्या, जीवोने आप, त्यारे तेणे कुमार, कुमारी, हाथी, घोडा, विगेरे अनेक जीवो देखाडया, गुरुए का अजीवने आप आ प्रमाणे कयुं, त्यारे तेणे घट, पट, दंड, आदि पदार्थो देखाडया, गुरुए कह्यु नो जीव आप, त्यारे धनीके कह्यं त्रण लोकमां पण नोजीवतो 'नथी, त्यारे क्याथी लावी आपुं, ए प्रमाणे ४४०० चौमालीशसे प्रश्नथी रोह गुप्तने निरुत्तर कर्यो, पोताना गणमांथी निन्हव एम कही बहार कर्यो, तेणे वैशेषिक मत प्रगट कर्यो, छ पदार्थ तेणे प्ररुप्या.
इति षष्ठनिन्हववृत्तान्त समाप्तः अथ सप्तम निन्हव वृत्तांत-श्रीमन् महावीर स्वामीना निर्वाण पछी ५८१ पांचसे. चोराशी वर्ष गए छते श्री मालबदेशमा दशपुर नगरमा हालमां मन्दसोरने विषे श्रीआर्य रक्षिताचार्य देशोनदशपुर्वधारी श्रुत केवली युग प्रधान छे, ते सोमदेव ब्राह्मणनो पुत्र हतो तेनी रुद्र सोमा माता ते परम श्राविका हती. माता पुत्र प्रति कहेवा लागी के, हे तुं पुत्र होय तो मारा वचने दृष्टिवाद भणीने आवे तो हुं राजी थाउं. मा
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