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ज्ञानी रमे छे. मोक्षमार्गमां ज्ञाननी प्राधान्यता छे, अने क्रियानी गौणता छ, तप जपादिथी जे कर्म क्रोडी वर्षे पण नाश न पामे, ते ज्ञानी श्वासोश्वासमां खपावे छे.
दुहा. ज्ञान रहित जेह क्रिया, क्रिया रहित जे ज्ञान। अंतर तेहनो जाणजो, भानु खजुवा समान. १
हान रहित एकली क्रिया अने क्रिया रहित एकलुं ज्ञान ते वेनुं अंतर खजुआ अने सूर्य जेटलुं छे, क्रिया रहित ज्ञान सूर्य समान छे. अने ज्ञान रहित क्रिया खजुआना सरखी. उद्योतकारक छे. क्रिया ज्ञानीनी पास आ वात पण एम संबोधे छे के मोक्षनी प्राप्ति योग्य तेढेतु अने अमृतक्रिया करवी ते ज्ञानी करी शके छे. ज्ञान विना तद्रेतु क्रिया अने अमृत क्रियानुं स्वरुप जाणी शकाय नहीं, माटे ज्ञानीनी पासे क्रिया छे, ते वाक्य सत्य छ, श्री यशोविजयजी उपाध्यायजी पण संयम बत्रीशीमां कहे छे के.
दुहा. हीणो पण ज्ञाने अधिक, सुंदर सुरुचि विशाल। अल्पागम मुनि नहीं भलो, बोले उपदेश माल ?
चारित्र गुणे करी हीन पण ज्ञाने करी आधिक मुनि श्रेष्ट
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