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शुद्ध चेतना स्त्री-आत्मपति ! तमे समजु थइने फेम मूलो? छो जेनुं मुख पण अपवित्र छे, एवी चांडालणी सरखी अशुद्ध परिणति वेश्यानी तमो सोबत करो छो, अने ज्यारे तमो एनी संगते रमो छो, त्यारे हुं त्यांथी दूरे खK छ कारणं के चंडालणीथी दूर रहे ए पवित्र जननुं भूषण छे, तमो चौडालणीनी संगति करवाथर्थी चंडाल जेवा बनो छो त्यारे हुं तमाराथी अभडावाना भयथी दूरेखमुंछु, तेमांतमारोज वांक छे. ___ आत्मपति-हे शुद्ध चेतना स्त्री ! तमो माराथी दर खसोछो त्यारे अशुद्ध परिणतिनी सोबत थाय छे. तमो मारी पासेथी खसो नहीं तो अशुद्ध परिणतिनी हुँ केम सोबत कर ते विचारी जुओ.
शुद्ध चेतना स्त्री-अशुद्ध परिणति ज्यारे तमारी तरफ लक्ष करे छे के तुरत तमो तेना उपर प्रेम.करो छो, अने मने विसारी मूको छो. ज्यारे ते नजीक आवे छे, त्यारे अभडावांना भयथी हुँ नासी दूर खसुं छ. जो तमो. तेना उपर प्रेम करो नहीं, अने तेने आवकार आपो नहीं तो हुँ तमारी पासेथी शा माटे दूर खसुं ? शास्त्रमा स्त्रीने अर्धागना कहेली.छे, पण तमो वेश्यानी संगते रमो ते मारा जेवी कुलवंती स्त्रीथी जोवाय नही तेथी दुरे जाउं छ. आजथी हवे तमो प्रतिज्ञा पू. चैक निश्चय करोके हुं हवे पर पुद्गलयोगे तेनी ममता आशा पिपासा सेवी अशुद्ध परिणतिनो दास बनीश नहीं, एम क
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