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मळतो नथी तेम अरिहंत अरिहंत नाम दतां कंइ अरिहंत आवता नथी, तो अरिहंत एवं नाम देवाथी शो फायदो?
जिज्ञामु-वाहरे वाह अरिहंत एवं नाम देवाथी अनंत भवनां पाप नाश थाय छे, अने वर्तमान भूत अने भविष्यकालमां थनार तीर्थकरोतुं स्मरण थाय छे, तेमना गुणोनुं स्मरण थतां, ते गुणो प्राप्त करवा इच्छा थाय छे. माटे अरिहंत नामर्नु स्मरण करवू जोइए.
श्रीसद्गुरु-ज्यारे अरिहंत एवा शब्दथी अरिहंत भगवान्नुं स्मरण थाय छे, तो अरिहंत भगवान्नी प्रतिमाथी स्मरण थाय, ते युक्ति युक्त छे. अरिहंत एवो शब्द पण पुद्गल छे, अने अरिहंत भगवान्नी प्रतिमा पण पुद्गलपिंडनी छे, अरिहंत एवा नामथी अने अरिहंतनी मूर्ति थकी साक्षात् थइ गयेला भावतीर्थकरतुं स्मरण थाय छे. सूर्य एटलो शब्द वांचतां साक्षात् सूर्यनी यादी थाय छे, ए वात अनुभव सिद्ध छे, तो जिनेश्वरनी प्रतिमाने मानतां पूजतां फळ थाय तेमां जरा पण संदेह नथी. अरिहंत एवं नाम देवाथी जेम पापनो नाश थाय छे, तेम अरिहंतनी प्रतिमाने पण साक्षात् तीर्थकरनो आरोप करी मानतां पूजतां साक्षात् तीर्थकरने मानवा पूजवा सर फळ थाय छे. पांडवोना समयमां एक भिल्ल द्रोण गुरुनी पासे धनुर्विद्या शिखवा माटे गयो, द्रोण गुरुए ना पाडी, त्यारबाद पेलो भिल्ल वगडामा गयो. त्यां माटीनी
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