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वानी शक्ति नथी ?
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प्रश्न- सिद्ध अनंत शक्तिना धणी छे तो शुं अहीं आव
उत्तर - सिद्धना जीवो आत्मानी अनंत शक्तिना धणी छे. पोताना गुणांना स्वामी छे, किंतु पुद्गलना स्वामी नथी, पुद्गल चल छे. पुद्गल चलन शक्तिवाळु छे आत्मा चलन शक्ति रहीत छे. एटले अचल छे, गमनागमन रहीत छे, कर्म खप्याबाद पुद्गल अर्थात् द्रव्यनो संबंध त्रुटया वाद आत्मा स्वस्वरुपनो भोक्ता थयो, निष्कलंकी थयो. चलन स्वभाव पुद्गलनो हतो ते टळ्यो तेथी अचल थयो, आववा जवानी शक्ति रहीत सिद्ध भगवंतो छे, परद्रव्यनी शक्ति सिद्धोने नहीं होवाथी कई क्षति नथी, अचल एवा सिद्धो अहीं आवी शकता नथी. रागद्वेष रहीतने गमनागमननुं प्रयोजन नथी, अने तेमने गमनागमन बीलकुल नथी, मोक्ष स्थानमां आकाशना प्रदेशी अवगाही स्व स्वरुपे रह्या छे अने अनंत सुख भोगवे छे.
चकलीयोनी पेठे मुक्तिना जीवो एक ठेकाणेथी बीजे ठेकाणे गमन करता नथी. स्वामी दयानंद सरस्वती कहे छे केजीव मुक्ति में केटलोक काल रहकर पीछा लोट आता हैसूज्ञो ! आ वाक्य वंध्या पुत्र समान छे, जे कर्मथी मुकाय ते पाछा संसारमां आवता नथी. भगवद्गीतामां पण कहां छे के यद्गत्वा न निवर्तन्ते तद्धाम परमं पदं । जे स्थान प्राप्त करीने पुनः त्यांथी जीवो कदापि संसारमां आवता नथी, ते
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