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आगमसार.
कारें कडं जे भाव निक्षेपो एकलो थाय नही पण स्थापना तथा द्रव्य एत्रण मिल्या भाव निक्षेपो थाय माटे स्थापना अवश्य मानवी. हवे जे स्थापना न माने तेने कहिये जे चित्रामनी मूर्ति ते हिंसाना परिणामथी फाडे तेहने हिंसा लागे छे तेमज जिनवरना ध्याने जिनप्रतिमा पूजतां लाभ थाय छे एम युक्ति करतां तथा आगमनी पाखे पण जिन प्रतिमाने जिन समान माने से आराधक अने जे जिन प्रतिमाने न माने तेणे स्थापना निक्षेपो उथाप्यो अने स्थापना उथापी तो द्रव्य तथा भाव निक्षेपो स्थापना विना थाय नही माटे द्रव्य तथा भाव पण उथाप्यो एम त्रण निक्षेपा उथाप्या वे. वारे सिद्धान्त उथाप्यांज मादे जे जिनम
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