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आगमसार.
जे एम पुछे के हिंसा थाय छे अने भगवंते तो दयाने धर्म को छे तेहने एम कहे जे परदेशी राजा केसी गुरुने वांदवाने अथें बीजे दीवसे मोहोटा आर्डरथी आव्यो ते वंदनामां हिंसा थइ पण लाभ कारण गणतां त्रोटो न थयो. वीजो मल्लिनाथजीयें छ मित्र प्रतिबोध - वाने पुतलीनो दृष्टान्त कह्यो, ते हिंसा तो घणी थइ पण ते लाभना कारणमां गणी के एम भाव शुद्ध होय तिहां हिंसा लागती नथी, अथवा कोइक एम कहे छे जे अमे आपणे स्थानके बैठा नथ्थुणं कहिसुं अमने लाभ थासे ते खरो पण भगवती सूत्रमां भगवानने वंदनाने अधिकारे तो तिहां जइ वंदना करबानुं फल मोडुं कथं छे तथा निक्षेपाने अधि
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