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अध्यात्मगीता. मोक्ष कहतां जे मोक्ष रूप मूर्ति स्थापवी अथवा मोक्ष ऐसा अक्षर लिखवा २. अने द्रव्यमोक्ष कहतां जे समभिरूढ़ नयने मते शुद्ध शुक्लध्यान रूपातीत परिणाम रूप क्षपक श्रेणीये अज्ञान रूप राग द्वेपने मोहनी कर्मनो करचो क्षय बारमे गुणस्थाने, अने केवल ज्ञान पाम्यां, एहवा केवली भगवानने भव शरीर आश्रय द्रव्यमोक्ष पद कहिये ३. अने भावमोक्ष कहतां जे एवंभूत नयने मते अष्ट कमने क्षये, अष्ट गुण सम्पन्न लोकनें अंते विराजमान एहया सिद्ध परात्माने भावमोक्ष पद जाणवो ४.
एणी रीते जी अजीव राव पट द्रव्य, नव तत्वमे नय संयुक्त निक्षेपा गाणवा.
अने प्रमाणे कहतां प्रत्यक्ष अने परोक्ष
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