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अध्यात्मगीता..
भावनिर्जरा कहतां जे शब्द नयने मते जीव अजीव रूप षट् द्रव्य नव तत्व जाणपणो प्रतीत करी, रिजुना उपयोग सहित ऊपर थको व्यवहार नयने मते बारे भेदे तपस्या रूप करणीनो करतो, ते भावनिजरा जाणवी ४. एणी रीते पांच नयमां चार निक्षेपा निर्जरा रूप जाणवा.
हिवे बंधमे निक्षपा उतारे छे. एटले नाम थकी बंध कहतां जे बंध एसो नाम, ते नैगम नयने मते जाणवो १. अने स्थापना थकी बंध कहतां जे बंध ऐसा अक्षर लिखीने स्थापना, ते स्थापना रूप बंध जाणवो २. अने द्रव्य थकी बंध कहतां जे प्रकृतिबंध, स्थिति बंध, रसबंध, मदेशवंध; एणी रीते
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