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अध्यात्मगीता.
मध्ये रिजु व्यवहार नये संवर रूप करणी कही, ते करता थकां महा निर्जरा प्रते करे ते सर्वे भाव संवर जाणवो. एणी रीते संवर में पांच नय में चार निक्षेपा जाणवा ४.
हिवे निर्जरामे निक्षेपा उतारे छे. एटले नाम थकी निर्जरा कहतां जे निर्जरा एसो नाम, ते नैगम नयने मते त्रणे काल एक रूप पणे जाणवो १. अने स्थापना थकी निर्जरा कहतां जे निर्जरा एसा अक्षर लिखवा, ते संग्रह नयने मते स्थापना रूप निर्जरा जाणवी २. अने व्यनिर्जरा कहता जे व्यवहार नयने मते रिजु सूत्रना उपयोग सहित मिथ्यात्व भावे अकाम निर्जरा कावी, ते सर्वे तद्वित् शरीर आश्रय द्रव्यनिजरा जाणवी ३. अने
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