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अध्यात्मगीता. रुप पाप जाणवो ४.
हिवे पाप रुप करणीनो करवो ते ऊपर निक्षेपा लगावे छे एटले नाम पाप कहतां पाप ऐसो नाम, ते नैगम नयने मते त्रणे काल एक रुप पणे वर्ते छे. १. अने स्थापना पाप कहतां पाप एहवा अक्षर लिखीने थापवा, ते संग्रह नयने मते असद्भाव स्थापना रुप पाप जाणवो. अने कोई जीव पाप रुप करणी करे हे एहवी मूर्ति स्थापवी ते सद्भाव स्थापना रूप पाप जाणवो २ अने द्रव्य पाप कहतां ऊपर थकी अरुचिभावे अगाउपयोगे व्यवहार नयने मते पाप रूप करणीनो करवो, ते सर्वे तद्वित (तव्यतिरिक्त ) शरीर आश्रय द्रव्य पाप जाणवो
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