________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
अध्यात्मगीता.
हिवे नव तत्व नो स्वरूप नय रूप चार निक्षेपे करी ओलखावे छे. तिहां प्रथम जीव अजीव रूप पट् द्रव्य नो स्वरूप कहो.
हिवे उदय भाव रूप पुण्य में निक्षेपा उतारे छे. एटले नाम पुण्य कहतां नैगम नयने मते गये काले पुण्य एहवो नाम वर्ततो हतो अने आवते काले पिण पुण्य एहवो नाम वर्तस्य. अने वर्तमान काले पिण ते नाम वर्ते छे. एहवी रीते नैगम नयनें मते त्रणे काल एक रूप साश्वतो वर्ते, तेहने नाम पुण्य कहिये १ अने स्थापना पुण्य कहतां पुण्य ऐसा अक्षर लिखीने थापा ते संग्रह नयने मते असदभाव स्थापना रूप पुण्य जाणवो अने कर्म सचाना प्रकृति रूप दलीया जीवनी
www.kobatirth.org
For Private And Personal Use Only