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१५६ अध्यात्मगीता. लिखवा, ते स्थापना रूप काल जाणवो२. अने द्रव्य थकी कालनो एक समय लोकमे सदा काल शाश्वतो वर्ते छे३. अने भाव थकी काल द्रव्य नवां पुराणो वर्तना रूप जाणवो ४.
हिवे भावथकी पुद्गलास्तिकाय ऐसो नाम १. अने स्थापना थकी पुद्गलास्तिकाय ऐसा अक्षर लिखवा, ते स्थापना रूप पुद्गलास्तिकाय जाणवो २. अने द्रव्यथकी पुद्गल द्रव्यना अनन्ता परमाणुंवा लोकमे सदा काल शाश्वता वर्ते छे ३. अने भाव थकी पुद्गल द्रव्य गलण पूरण मिलण विखरण रूप जाणवो ४. ॥६॥
एणी रीते जीव अजीव रूप षट् द्रव्य मे चार चार निक्षेपा जाणवा.
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