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आगमसार.
उपनी ते कहे छे एक जेनी आदि नथी अने
अंत पण नथी ते अनादि अनंत पहेलो भांगो अने जेनी आदि नथी पण अंत छे ते अनादि सांत बीजो भांगो तथा जेनी आदि पण छे अंत एटले छेहेडो पण छे ते सादि सांत बीजो भांगो वली जेहने आदि छे पण अंत नथी ते सादि अनंत नामे चोथो भांगो जाणवो.
हवे ए चार भांगा छ द्रव्यमां फलावी देखाडे छे. जीव द्रव्यमां ज्ञानादिक गुण ते अनादि अनंत छे नित्य छे, अने भव्य जीवने कर्म साथ संबंध तथा संसारीपणानी आदि नथी पण सिद्ध थाय तेवारे अंत आव्यो तेथी ए अनादि सांत भांगो छे, अने देवता तथा
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