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आगमसार.
आठ रुचक प्रदेश जे छे ते निश्चयनयथी भव्य तथा अभव्य सर्वना सिद्ध समान छे माटे सर्व जीवनी सत्ता एक सरीखी छे केमके ए आठ प्रदेशने बिलकुल कम लागतां नथी ते " श्री आचारांग सूत्रनी श्री सिलांगाचार्य कृत टीकाना लोकविजयाध्ययने प्रथमोद्देशके साख छे तिहाथी सविस्तरपणे जोQ. "
हवे सत् तथा असत् पक्ष कहे छे. ए छ द्रव्य ते स्वद्रव्य, स्वक्षेत्र, स्वकाल, अने स्वभावपणे सत् एटले छता छे अने परद्रव्य, परक्षेत्र, परकाल तथा परभावपणे असत् एटले अछता छे तेनी रीत बताववाने अर्थे छए द्रव्यना द्रव्य क्षेत्र काल भाव कहिये ,ये.
धर्मास्तिकायनो मूलगुण चलण सहाय
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