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अध्यात्मगीता.
कहतां ए अकृत्रिम भाव रूप शक्तिये करीने, छेद्यो क्रोध मुभट्ट. एटले छेद्यो क्रोध सुभट्ट कहतां ए मोह राजानो क्रोध रूपी जे सुभट्ट तेहने छेद्यो कहतां निकंदन प्रते करयो. १ मादर्व भाव प्रभावथी भेद्यो मान मरह. एटले मार्दव भाव कहतां मृदुता भाव रूप जे नरमास गुण, अने प्रभावथी कहतां तेहने प्रभावे करीने भेद्यो मान मरट्ट. एटले मान मरट्ट कहतां ए मान रूपी मुभट प्रत भेद्यो कहतां छेद्यो, तेहने उनमेली (उखेड़ी) नाख्यो अने मरट्ट कहता एहवी रीते मान रूपी सु. भटनो मरोड़ प्रते मेट कोधो. २ माया आजैव योगे लोभते निस्पृह भाव. एटले माया कहतां माया रूप जे कपट, अने आर्जव
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