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अध्यात्मगीता.
तेहनो नाश प्रत करयो. अने एहवी रीते बाधक भावनो नाश प्रत केम करयो ? ॥३१॥
चाल:-- सहिज क्षमा गुण शक्तिथी छेद्यो क्रोध सुभट्ट । मार्दव भावप्रभावथी भेद्यो मान मरट्ट ॥ माया आर्जव योगे लोभते निस्पृह भाव । मोह महा भट ध्वंसे ध्वस्यो सर्व विभाव ॥ ३२॥
अर्थः-सहिन क्षमा गुण शक्तिथी छेयो क्रोध सु भट्ट. एटले सहिज क्षमा गुण कहता अकृत्रिम भाव रूप ने क्षमा-गुण, अने शक्तिथी
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