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अध्यात्मगीता.
थया सबि साधन रीत कहतां, आत्मनी कर्तृत्वता भोक्तृत्वादि पंचशक्ति ते अनादि कालनी पर अनुजाइ पणे अवली प्रणमी हती; तिहाथकी निवारीने पोताना स्वरूप अनुजाइ रूप साधन पणे प्रणमावी. त्यारे शिष्य कहे, ए पांच शक्ति स्वरुप अनुजाइ रूप साधन पणे केम प्रणमी ? त्यारे गुरु कहे,-आत्मानी कत्तृखता रूप जे शक्ति ते अनादि कालनी परकर्तीपणे अवली प्रणमी हती, तिहां थकी निवारीने पोताना स्वरूप कर्त्तारूप साधनपणे प्रणमावी.१अने आत्मानी भोक्तृत्वता रूप जे शक्ति ते अनादि कालनी पर पुद्गलादि विभाव दशाना भोगने विषे प्रणमी हती, तिहां थकी निवारीने पोताना
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