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अध्यात्मगीता. एटले चरण कहतां चारित्रवंत जीव ते कोने कहिये ? तो के जीव अजीव रूप नव तत्व, षट् द्रव्य, नय, निक्षेप, प्रमाण, उत्सर्ग, अपवाद, निश्चय, व्यवहार, द्रव्य, भावनो स्वरूप जाणि, जीव सत्ताने ध्यावे; अजीव सत्तानों त्याग करे. ज्ञान, दर्शण, चारित्र रूप शुद्ध निश्चय नय ज्ञाननी तीक्ष्णता रूप उपयोग जेहनो वर्ते, तेह जीवने चारित्रवंत कहिये ज्ञान ध्यान गेह. एटले ध्यान नो गेह कहतां घर ते कोनं कहिये ? तो के एहवी रीते जे पोताना आत्म स्वरूपना ज्ञान रूप ध्याननें विषे एकत्वपणे, सदाकाल निरंतर पणे, जेहनो उपयोग वर्ते ते जीवने ध्याननो गेह कहतां घर प्रतें कहिये. एटले एहवी रीते ज्ञान ध्यान
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