________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
अध्यात्मगीता.
५७
तेहथी कोण करै वधं बंध । प्रगढ्यो भाव अहिंसक जाणै शुद्ध
प्रबंध || २२ ||
अर्थ:- एटले आत्म सर्व समान कहतां सर्वे जीव सत्ता एकरूप सरीखा सामान्य पणे करी जाणवा, अने निधान कहतां निश्चय नयने मते सर्वे जीव सत्ताये ज्ञान, दर्शन, चारित्र, रूप निधाने करीने सहित छे अने महा सुख कंद. एटले महा सुख कद कहतां निश्चय नयने मते सर्वे जीव सत्तायै सुखना कंद कहतां मूल सामान्य करी जाणवा. सिद्ध तणा साधर्मी सत्ता गुण वृंद. एटले सिद्ध तणा साधर्मी कहतां निश्चय नयने मते सर्व
www.kobatirth.org
For Private And Personal Use Only