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अध्यात्मगीता.
काय ? अधर्मास्तिकाय २ आकास्तिकाय ३ पुद्गलास्तिकाय ४ काल ५ अने जीव ६ ए छ; द्रव्य अने गुण पर्याय कहतां तेना अनंता अनंतागुण ने अनंता पर्याय तेहनो भासन कहां जाणपणा रूप प्रतीत म प्रगटे, अने एहवी रीते प्रतीत ते प्र- जाण्यो आत्म कर्त्ता भोक्ता गइ गढ़ी आम कर्ता कहतां परभीत. एटले जा व्यवहार नयनें मते जीवने विभाव दशानो कर्त्ता कहिये अने निश्चय नयनें मते जिवने पोतानी ज्ञानादि अनंत गुण रूप जे लक्ष्मी तेहनो कर्ता कहिये अने भोक्ता कहता व्यवहार नयनें मते जीवनें शुभाशुभ रूप पर पुइनो भोक्ता कहिये.
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शुभ रूप
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