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अध्यात्मगीता.
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झ्यो धारे पुद्गलं खंध, यो कहतां पुदगलना रोहयो, एटले जिम २
तोके पुद्गल भोगे एटले पुद्गल भोगे भोग नें विषै जीव पुदगलना भोग मिले तिम तिम जीa अधिक २ झ उपजे अने एहवी रोते पुद्गलना भोगनें विषै रीझ उपजी त्यारे, धारे पुद्गल खंध. एटले धारे पुद्गल खंध कहतां पुद्गलना खंध ने मेलवानी वच्छारूप प्रणाम पतें वर्ते. अने एहवी रीते पुद्गलना खंध नें मेलवानी वंच्छा रूप प्रणाम वर्त्या त्यारे, परकर्ता परिणामे बांधे कर्म नो बंध. एटले पर कर्त्ता कहतां जीव पर नो कर्त्ता थयो अने एहवी रीते पर नो कर्त्ता थयो त्यारे बांधे कर्म बंध. एटले बांधे कर्म नो बंध
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