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अध्यात्मगीताः
लोकना भाव प्रत्यक्षपणे जाण्या दीठा. आतमरमणी मुनि जगवदीता. एटले वली ए मुनि केहवा छे ? के आतमरमणी कहेतां जिणे पोताना आतम स्वरूपनेविषै सदा काल रमण प्रति करचो छे एवा मुनि कहतां जे मुनि, अने जगवदीता कहतां जगत्त्रयने विषे चावा छे. उपदिश्यूँ तेथे अध्यातमगीता. एटले उपदिश्यू कहेतां ते मुनिय अध्यात्मगीता नो उपदेश प्रतै करचो छे. कर्त्ता कहे हूं कर्त्ता नथी ॥ ३ ॥
चाल:
द्रव्य सर्वना भावना जाणग पासग एह । ज्ञाता, कर्त्ता, भोक्ता, रमता,
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