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गुणस्थानकविचार. केवलीने अतिशय नहोवे ते छेडे आवरजीकरण करे पछी जो आऊखो अने बीजा करम सरखां होवे तो केवली समुद्घात न करे, अने जो आऊखेथी (अन्य) करम घणा होवे तो केवली समुद्घात करे तेहने आठे समय लागे, ए तेरमा गुणठाणानी स्थिति जघन्य अंतमुहूतनी छे उत्कृष्टे देश उणीपूर्ण कोडी वर्षनो ले १३ ।। चउदमे गुणठाणे अयोगी केवली ते जे जीव तेरमे गुणठाणे जोगरोध करवा मांडे, मूक्ष्म क्रिया अप्रतिपाते शुक्ल ध्याननो बीजो पायो ध्यावतो ते चउदमे गुणठाणे चढे तिहां प्रथमथी वादर मनोजोग रोके पछी बादर वचनजोग रोके पछी बादर कायाजोग रोके पछी सूक्ष्म मनोयोग केरो
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