________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
गुणस्थानकविचार.
ते श्रावक कहीई श्रावकने जघन्य ३ वार उत्कृष्टे ७ वार चैत्यवंदन करवू, अरिहंतदेवसिद्ध भगवंतने वंदना करवी तथा नित्य पडिक्कमणुं बे वार करवू जो नित्य न थाय तो पाखीनो पडिकमणुं नियमा कर तथा पञ्चक्खाण प्रभातना नोकारसी अवस्य साचववी, रात्रि चविहार तिविहार दुविहार ए ३ मांहि एक पञ्चकवाण अवस्य करवु ए पांचमा गुणठाणानी स्थितिः जघन्य अंतमुहूर्त उत्कृष्टं देशे उणी पूर्वकोडी वर्षनी जाणवी. ए जीव अढार पाप स्थानक आलोइने निर्मल थयो चारित्रफरसे ते कहे छ, अथ अढारे पाप स्थान लिखीइं छे. कोइ भव्य जीव अवसर पामीने जैनागम स्मूणतां संसारथी उभग्यो
www.kobatirth.org
For Private And Personal Use Only