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२१६ गुणस्थानकविचार. उत्कृष्टे इंद्रीसुखनी वांछा विना श्रावकनां बारव्रतपाले ते उत्कृष्टो श्रावक कहीइं बारव्रतनां नाम १ स्थूलपाणातिपात विरमण, जे त्रस जीवने निरापराध हणे नहि २ स्थूलमृषावाद विरमण, जे मोटका पांच कन्यालीक १, गवालीक २, भौमालिक ३, थापिणमोसो ४, कुडीसाख न बोले ५ ॥ ३ थूलअदत्तादान विरमण, जे चोरी कीधे राजा दंडे तथा च्यार रुडां माणस ठवको दे अथवा पोताने भय लागे अथवा सामाना जीवने ध्रास्को पडे ते मोटी चोरी करवी नहि ४ थूलमैथुन विरमणव्रत, जे परस्त्री मनुष्यणी तथा तिर्यंचणी तथा देवतानी भोगववी नहीं. पांच इंद्रीना स्वाद घणा मगनपणे सेवे नहीं
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