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आगमसार.
कृत शुभकर्म खप्यां नहतां माटे पांच समवाय मिल्या कार्यनी सिद्धि थाय, तेबारें फरि पूछयुं जे मरुदेवा माताने तो चार कारण मिल्या पण पांचमो पुरुषाकार उद्यम कांइ कीयो नही तेने उत्तर जे क्षपक श्रेणि चढवानो शुक्ल ध्यान रूप उद्यम कीधो छ माटे पांच समवाय मील्या मोक्षरूप कार्य सिद्ध थाय. ___जेवारे केवलज्ञाने करी सर्व द्रव्य जेम रह्यां के तेम देखे एटले आकाशद्रव्य लोकालोक प्रमाण छे तेमां अलोकमां बीजुं द्रव्य कोइ नथी. लोकाकाशना एकेक प्रदेशे धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकायनो एकेक प्रदेश रह्यो छे तथा अनंता जीवना अनंता प्रदेश
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