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॥ श्रीसर्वज्ञाय नमः॥
॥ अथ ॥ ॥ श्रीमत्पंडितश्रीदेवचंद्रजीकृत ॥
आगमसार.
भव्यजीवने प्रतिबोधवा निमित्ते मोक्षमार्गनी वचनिका कहे छे. तिहां प्रथम जीव अनादिकालनो मिथ्यात्वी हतो ते काललब्धि पामीने त्रण करण करे छे. तेनां नाम-पहेलं यथाप्रवृत्ति करण, बीजुं अपूर्व करण, अने त्रीजु अनिवृत्ति करण,
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