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__ आगमसार.
माना अंते अने चउदमे गुणठाणे बाकीना बे पाया ध्यावें.
३ सूक्ष्मक्रिया अप्रतिपति पायो कहे छे. ते सूक्ष्म मन, वचन कायाना योग रुंधे, शैलेशी करण करी अयोगी थाय ते जे अप्रतिपाति निर्मलवीर्य अचलतारूप परिणाम ते सूक्ष्मक्रियाअप्रतिपाति ध्यान जाणवू. इहां सत्ताये ८५ प्रकृति रही हती ते मध्ये ७२
खपावे. .. ४ उच्छिन्नक्रियानुवृत्ति पायो कहे छे. जे योग निरुंध कीधा पछे तेर प्रकृति खपावे, अकर्मा थाय, सर्व क्रियाथी रहित थाय ते, समुच्छिन्न क्रियानिवृत्ति शुक्लध्यान कहियें. ए ध्यान ध्यावतां शेष, दल, खरणरूप क्रिया
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