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आगमसार.
तेनो जे एकाग्रताये तन्मयचितवन परिणाम एहवू जे ध्यान ते संस्थान विचय धर्मध्यान कहिये. ए धर्मध्यानना चार पाया कह्या. ए धर्मध्यान चोथा गुणठाणाथी मांडीने सातमा गुणठाणा सुधी छे.
हवे शुक्लध्यान कहे छे. शुक्ल केहतां निमल, शुद्ध, पर आलंबन विना आत्माना स्वरूपने तन्मयपणे ध्यावे एहवं ध्यान तेने शुक्लध्यान कहिये. तेहना पाया चार छे ते कहे छे.
१ पृथक्त्ववितर्कसप्रविचार-ते पृथक्त्व केहतां जीवथो अजीव जूदा करवा, स्वभाव क्भिाव तेने जूदा पृथकपणे बहेंचण करवी स्वरूपने विषे पण द्रव्य तथा पर्यायनो पृथक्
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